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कार्य एवं संगठनात्मक ढांचा

वस्त्र मंत्रालय वस्त्र उद्योग संबंधी नीति निर्माण, योजना, विकास, निर्यात संवर्द्धन तथा व्यापार - विनियमन के लिए उत्तरदायी है । इसमें वे सभी प्राकृतिक और मानव निर्मित सेल्यूलोसिक फाईबर शामिल हैं जिनका उपयोग वस्त्र, क्लोदिंग और हस्तशिल्प बनाने में किया जाता है । तथापि, नॉयलॉन, पॅालिएस्टर एक्रेलिक और पॉलिप्रोपलीन जैसे गैर-सेल्यूलोसिक सिंथेटिक फाईबरों और फिलेमेंट यार्न संबंधी कार्य रसायन व पेट्रोरसायन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन हैं ।

मंत्रालय की अपनी बेवसाईट www.ministryoftextiles.gov.in है । इस मंत्रालय के विकासात्मक कार्यों में वस्त्र उद्योग के सभी क्षेत्रों के लिए पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल उपलब्ध कराना और उद्योग के संगठित और विकेन्द्रीकृत क्षेत्रों से उचित मूल्य पर फैबि्रक्स का उत्पादन बढाना शामिल है । यह मंत्रालय, उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों के सुनियोजित और सुव्यवस्थित विकास के लिए मार्गदर्शी सिद्धांतों का निर्धारण करता है और हथकरघा क्षेत्र में अधिक रोजगार की संभाव्यता होने के कारण उसके विकास पर विशेष बल दिया जाता है । यह मंत्रालय वस्त्र उद्योग की प्रौद्योगिकी-आर्थिक स्थिति को मॉनीटर करता है और आधुनिकीकरण और पुनर्वासन के लिए नीति संबंधी आवश्यक रूपरेखा प्रदान करता है । यह मंत्रालय वस्त्र अनुसंधान संघों के कार्यकलापों का समन्वयन करता है और उन्हें अनुसंधान और विकास कार्यो के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है ।

वस्त्र मंत्रालय के प्रमुख एक सचिव हैं । उनके कार्यभार के निर्वहन में सहायता के लिए 4 संयुक्त सचिव, एक आर्थिक सलाहकार, विकास आयुक्त (हथकरघा) और विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), वस्त्र आयुक्त तथा पटसन आयुक्त हैं ।

मंत्रालय के प्रमुख कार्य क्षेत्र निम्नलिखित हैं :

  • वस्त्र नीति और समन्वय
  • मानव निर्मित फाईबर/फिलेमेंट यार्न उद्योग
  • सूती वस्त्र उद्योग
  • पटसन उद्योग
  • रेशम और रेशम वस्त्र उद्योग
  • ऊन व ऊनी वस्त्र उद्योग
  • विकेन्द्रीकृत विद्युतकरघा क्षेत्र
  • निर्यात संवर्द्धन
  • योजना व आर्थिक विश्लेषण
  • एकीकृत वित्त संबंधी मामले
  • सूचना प्रौद्योगिकी
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